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Vishnu Prabhakar jivan parichay in hindi

 विष्णु प्रभाकर का जीवन परिचय


विष्णु प्रभाकर का जन्म २१ जून सन १९१२ ई को ग्राम मीरनपुर, मुजफ्फर नगर उत्तरप्रदेश में हुआ. श्री विष्णु प्रभाकर मानवतावादी एकांकीकार है. डॉ नगेन्द्र के शब्दों में आपके साहित्य की मुलात्मा आपका सहज मानव गुण है. इन्होने यथार्थ के धरातल पर आदर्श की अवतारणा की है. मानव प्रवृत्तियों का विशलेषण करके उनमे आध्यात्मिक पुट देना आपकी अपनी विशेषता है. इनकी एकांकियो में मध्यवर्गीय समाज को विभिन्न रुचियों, संस्कारों भावनाओ और विचारधाराओ का मार्मिक चित्रण हुआ है. श्री विष्णु प्रभाकर के एकांकियो को मुख्यतः छह: भागो में बाटा जा सकता है.



सामाजिक समस्या प्रधान एकांकी इन एकांकियो में वर्तमान सामाजिक जटिलताओ पर प्रकाश डाला गया है. यथा बंधन मुक्त पाप, प्रतिशोध इंसान वीर पूजा देवताओं की घाटी दूर और पास आदि

मनोवैज्ञानिक एकांकी इन एकांकियो में पात्रो की अंत: प्रवृतियों का चित्रण किया गया है. यथा भावना और संस्कार, ममता का विष, मैं दौषी नहीं हूँ, जज का फैसला, हत्या के बाद माँ बाप आदि.

राजनीतिक एकांकी इन एकांकियो में देश की राजनीतिक उथल पुथल राष्ट्रीय गौरव और स्वाधीनता संग्राम के विभिन्न चित्र खींचे गए है. यथा हमारा स्वाधीनता संग्राम.

हास्य व्यंग प्रधान एकांकी इनमे कोई प्रहसन रखे जा सकते है. यथा प्रो लाल, मुर्ख पुस्तककीट कार्यक्रम आदि.

पौराणिक एतिहासिक एकांकी इनमे पुराण इतिहास को माध्यम बनाकर वर्तमान को प्रेरणा दी गई है.

प्रचारात्मक एकांकी इनमे देश की सामयिक आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक समस्याओ पर गांधीवादी दृष्टीकोण से विवेचन किया गया है. यथा पंचायत नया कश्मीर, सर्वोदय राजस्थान, स्वतंत्रता का अर्थ, समाज सेवा आदि. रेडियो रूपक लिखने में भी एकांकीकार को पर्याप्त सफलता मिली है. भाषा सरल, परिष्कृत और प्रभावपूर्ण है. कथोपकथन पात्रानुकूल और भावानुकूल है.

इनके निम्नलिखित एकांकी संग्रह उल्लेखनीय है.

स्वाधीनता संग्राम

सरकारी नौकरी

इन्सान

संघर्ष के बाद

प्रकाश और परछाई

गीत और गोली

बारह एकांकी आदि.

मर्यादा एकांकी की कथावस्तु में बिखरे हुए एक संयुक्त परिवार का चित्रण है. जगदीश एकांकी का प्रमुख पात्र और टूटे हुए संयुक्त परिवार का मुखिया है. उसके तीनो भाई प्रदीप विनय और अशोक अपने-अपने स्वार्थो और सुविधाओ के चलते उससे अलग हो गए है. हर भाई सोचता है. कि दूसरे भाइयों की अपेक्षा वह परिवार के लिए अधिक करता है. जगदीश की कही अपने आप को भी इस अलगाव के लिए दौषी मानता है.


संयुक्त परिवार के विखरने का सबसे अधिक दुष्प्रभाव बच्चो पर पड़ता है. इस वजह से वे संयुक्त परिवार के सामूहिक स्नेह तथा देखभाल से वंचित हो जाते है. सुमन और अनिल इस बात के उदाहरण है. जगदीश को अपनी सूझ-बुझ का कुछ घमंड है पर अपने भाइयो की अपेक्षा उसके मन में प्रेम उदारता का भाव अधिक है. इसलिए वह उनकी भूलों को क्षमा कर उन्हें पुनः एक होने का अवसर देता है. वह जानता है कि आज रामायण और महाभारत का युग नहीं है.


पुरानी मर्यादाए क्षीण हो रही है आज संयुक्त परिवार मात किसी एक व्यक्ति के त्याग तपस्या, समर्पण, प्रभाव या आतंक पर टिके नहीं रह सकते. संयुक्त परिवार को सभी घटकों की सुख सुविधाओ और आवश्कताओ की पूर्ति का पर्याय बंनाना होगा. उसके लिए नयी मर्यादाए स्थापित करनी होगी. निस्वार्थ प्रेम और स्वार्थमय इच्छाओं परिवार को बनाये रखा जा सकता है. कठिनाई के समय सहयोग की भावना को होना अधिक महत्वपूर्ण है.

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